वर्षा आई

 

वर्षा आई



रिमझिम रिमझिम वर्षा आई।
ठंडी हवा बही सुखदाई II
बाहर निकला मेंढक गाता।
उसके पास नहीं था छाता II
सर पर बूंदें पड़ी दनादन।
तब घर में लौटा शर्माता II
उसकी माँ ने डांट लगाई।
रिमझिम रिमझिम वर्षा आई II
पंचम स्वर में कोयल बोली।
नाच उठी मोरों की टोली II
गधा रंभाया ढेंचू ढेंचू।
सबको सूझी हंसी ठिठोली II
सब बोले अब चुपकर भाई।
रिमझिम रिमझिम वर्षा आई II
गुड़िया बोली चाचा आओ।
लो, कागज लो, नाव बनाओ II
कंकड़ का नाविक बैठाकर।
फिर पानी में नाव चलाओ II
नाव चली, गुड़िया मुसकाई।
रिमझिम रिमझिम वर्षा आई II

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