टूट गया किस्से का तार

 

टूट गया किस्से का तार



टूट गया किस्से का तार,
अगड़म-बगड़म गए बाजार
वहाँ से लाए मोती चार।
दो मोती थे टूटे-फूटे
बाकी दो हाथों से छूटे,
अगड़म-बगड़म दोनों रूठे!

आगे आया नया बाजार,
पीं-पीं बाजा, सीटी चार
लेकर बोले अगड़म-बगड़म।
लिख लो, यह सब रहा उधार
पैसे कल ले लेना यार!

 

अगडत्रम उछल-उछलकर चलता
बगड़म फिसल-फिसलकर बढ़ता,
पीछे पड़ गए कुत्ते चार।
कूद गए पानी में दोनों,
झटपट पहुँचे नदिया पार!

अगड़म रोता इधर खड़ा है
बगड़म भी उखड़ा-उखड़ा है,
अब ना पीं-पीं, अब ना बाजा।
फूटा घुटना, फूट गया सिर-
टूट गया किस्से का तार!

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