ब्राह्मण, बकरी और तीन ठग
ब्राह्मण, बकरी और तीन ठग
किसी गांव में शम्भुदयाल नाम का एक प्रसिद्ध ब्राह्मण रहता था। वह बहुत विद्वान था और लोग आए दिन उस अपने घर में भोजन के लिए निमंत्रण देते रहते थे। एक दिन ब्राह्मण एक सेठ जी के यहां से भोजन करके आ रहा था। लौटते समय सेठ ने ब्राह्मण को एक बकरी उपहार में दी, जिससे ब्राह्मण रोजाना उसका दूध पी सकें।
ब्राह्मण बकरी को कंधे पर रखकर घर की ओर जा रहा था। रास्ते में तीन ठगों ने ब्राह्मण और उसकी बकरी को देख लिया और ब्राह्मण को लूटने का षड्यंत्र रचा। वे ठग थोड़ी-थोड़ी दूरी पर जाकर खड़े हो गए।
जैसे ही ब्राह्मण पहले ठग के पास से गुजरा, तो ठग जोर-जोर से हंसने लगा। ब्राह्मण ने इसका कारण पूछा तो ठग ने कहा, ‘महाराज मैं पहली बार देख रहा हूं कि एक ब्राह्मण देवता अपने कंधे के ऊपर गधे को लेकर जा रहे हैं।’ ब्राह्मण को उसकी बात सुनकर गुस्सा आ गया और ठग को भला-बुरा कहते हुए आगे बढ़ गया।
थोड़ी ही दूरी पर ब्राह्मण को दूसरा ठग मिला। ठग ने गंभीर स्वर में पूछा, ‘हे ब्राह्मण महाराज, क्या इस गधे के पैर में चोट लगी है, जो आप इसे अपने कंधे पर रखकर ले जा रहे हैं।’ ब्राह्मण उसकी बात सुनकर सोच में पड़ गया और ठग से कहा, ‘तुम्हे दिखाई नहीं देता है कि यह बकरी है, गधा नहीं। ठग ने कहा, ‘महाराज शायद आपको किसी ने बेवकूफ बना दिया है, बकरी की जगह गधा देकर।’ ब्राह्मण ने उसकी बात सुनी और सोचता हुआ आगे बढ़ गया।
कुछ दूरी पर ही उसे तीसरा ठग दिखाई दिया। तीसरे ठग ने ब्राह्मण को देखते ही कहा, ‘महाराज आप क्यों इतनी तकलीफ उठा रहे हैं, आप कहें, तो मैं इसे आपके घर तक छोड़ कर आ जाता हूं, मुझे आपका आशीर्वाद और पुण्य दोनों मिल जाएंगे।’ ठग की बात सुनकर ब्राह्मण खुश हो गया और बकरी को उसके कंधे पर रख दिया।
थोड़ी दूर जाने पर तीसरे ठग ने पूछा, ‘महाराज आप इस गधे को कहां से लेकर आ रहें हैं।’ ब्राह्मण ने उसकी बात सुनी और कहा, ‘भले मानस यह गधा नहीं बकरी है।’ ठग ने जोर देकर कहा, ‘हे ब्राह्मण देवता, लगता है किसी ने आपके साथ छल किया है और यह गधा दे दिया।’
ब्राह्मण ने सोचा कि रास्ते में जो भी मिल रहा है बस एक ही बात कह रहा है। तब उसने ठग से कहा, ‘एक काम करो, यह गधा मैं तुम्हें दान करता हूं, तुम ही इसे रख लो।’ ठग ने ब्राह्मण की बात सुनी और बकरी को लेकर अपने साथियों के पास आ गया। फिर तीनों ठगों ने बाजार में उस बकरी को बेचकर अच्छी कमाई की और ब्राह्मण ने उनकी बात मानकर अपना नुकसान कर लिया।
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