साधु और चूहे की कहानी

 

साधु और चूहे की कहानी



बहुत समय पहले की बात है। एक गांव में एक साधु मंदिर में रहा करता था। उनकी दिनचर्या रोजाना प्रभु की भक्ति कराना और आने-जाने वाले लोगों को धर्म का उपदेश देना थी। गांव वाले भी जब भी मंदिर आते, तो साधु को कुछ न कुछ दान में दे जाते थे। इसलिए, साधु को भोजन और वस्त्र की कोई कमी नहीं होती थी। रोज भोजन करने के बाद साधु बचा हुआ खाना छींके में रखकर छत से टांग देता था।

समय ऐसे ही आराम से निकल रहा था, लेकिन अब साधु के साथ एक अजीब-सी घटना होने लगी थी। वह जो खाना छींके में रखता था, गायब हो जाता था। साधु ने परेशान होकर इस बारे में पता लगाने का निर्णय किया। उसने रात को दरवाजे के पीछे से छिपकर देखा कि एक छोटा-सा चूहा उसका भोजन निकालकर ले जाता है। दूसरे दिन उन्होंने छींके को और ऊपर कर दिया, ताकि चूहा उस तक न पहुंच सके, लेकिन यह उपाय भी काम नहीं आया। उन्होंने देखा की चूहा और ऊंची छलांग लगाकर छींके पर चढ़ जाता और भोजन निकाल लेता था। अब साधु चूहे से परेशान रहने लगा था।

एक दिन उस मंदिर में एक भिक्षुक आया। उसने साधु को परेशान देखा और उसकी परेशानी का कारण पूछा, तो साधु ने भिक्षुक को पूरा किस्सा सुना दिया। भिक्षुक ने साधु से कहा कि सबसे पहले यह पता लगाना चाहिए कि चूहे में इतना ऊंचा उछलने की शक्ति कहां से आती है।

उसी रात भिक्षुक और साधु दोनों ने मिलकर पता लगाना चाहा कि आखिर चूहा भोजन कहां ले जाता है।

दोनों ने चुपके से चूहे का पीछा किया और देखा कि मंदिर के पीछे चूहे ने अपना बिल बनाया हुआ है। चूहे के जाने के बाद उन्होंने बिल को खोदा, तो देखा कि चूहे के बिल में खाने-पीने के सामान का बहुत बड़ा भण्डार है। तब भिक्षुक ने कहा कि इसी वजह से ही चूहे में इतना ऊपर उछलने की शक्ति आती है। उन्होंने उस सामग्री काे निकाल लिया और गरीबों में बांटा दिया।

जब चूहा वापस आया, तो उसने वहां पर सब कुछ खाली पाया, तो उसका पूरा आत्मविश्वास समाप्त हो गया। उसने साेचा कि वह फिर से खाने-पीने का सामान इकट्ठा कर लेगा। यह सोचकर उसने रात को छींके के पास जाकर छलांग लगाई, लेकिन आत्मविश्वास की कमी के कारण वह नहीं पहुंच पाया और साधु ने उसे वहां से भगा दिया।

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